हमारे समाज में अक्सर यह माना जाता है कि गरुड़ पुराण केवल मृत्यु, पाप और भय से जुड़ा हुआ ग्रंथ है। कई लोग इसे पढ़ने से कतराते हैं, मानो इसे सुनना या समझना अशुभ हो। लेकिन यह धारणा सही नहीं है। गरुड़ पुराण एक ऐसा ग्रंथ है जो जीवन, मृत्यु, धर्म, कर्म, पुनर्जन्म और मोक्ष जैसे गूढ़ विषयों की गहराई से व्याख्या करता है।
इस ग्रंथ में बताया गया है कि मृत्यु जीवन का अंत नहीं, बल्कि एक संक्रमण है। शरीर नश्वर है, आत्मा अमर है। यहाँ यह भी समझाया गया है कि अच्छे कर्म, सेवा, श्रद्धा और संयम से जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है। पितरों की सेवा, जल अर्पण, दान, प्रार्थना – ये सब केवल धार्मिक कर्म नहीं, बल्कि जीवन को अनुशासित, संतुलित और अर्थपूर्ण बनाने के साधन हैं।
गरुड़ पुराण डराने के लिए नहीं, बल्कि जागरूक करने के लिए है। यह हमें यह समझाता है कि हर कर्म का परिणाम होता है, इसलिए जीवन को सही दिशा में चलाना चाहिए। यह ग्रंथ हमें अपने शरीर, मन, परिवार, समाज और आत्मा के प्रति जिम्मेदारी का बोध कराता है।
इसलिए गरुड़ पुराण से डरने की जरूरत नहीं है। इसे श्रद्धा और समझ के साथ पढ़िए। यह आपको मृत्यु का भय नहीं, बल्कि जीवन का मूल्य समझाएगा। जो व्यक्ति इसे समझता है, वह न केवल अपने पूर्वजों का सम्मान करता है बल्कि अपने वर्तमान और भविष्य को भी सुधार सकता है।
डर नहीं, समझ – यही गरुड़ पुराण का सच्चा संदेश है।
नेहा वार्ष्णेय
दुर्ग छत्तीसगढ़

