हिन्दी दिवस के उपलक्ष में उन्मुक्त उड़ान मंच पर डॉ दवीना अमर ठकराल “देविका “ संस्थापिका/ अध्यक्षा के नेतृत्व में आभासी काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।
मंच संचालिका व संयोजिका डॉ दवीना अमर ठकराल देविका ने विद्या की अधिष्ठात्री माँ शारदे की वन्दना करते हुए काव्य गोष्ठी का शुभारंभ किया।सभी को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए, उन्होंने अपनी सारगर्भित पंक्तियों से कार्यक्रम को औपचारिक रूप से आरंभ किया।
भारतीय संस्कृति की पहचान है हिन्दी,
समूचे राष्ट्र की मधुरिम ज़ुबान है हिंदी।
आर्यावर्त की ही नहीं विश्व की दुलारी,
हमारा गर्व और पूर्वजों की शान है हिन्दी।
मंच के उपाध्यक्ष सुरेश चंद्र जोशी सहयोगी जी ने दोहा गीतिका गाकर सभी का मन जीत लिया।
हिन्दी मेरी शान है, हिन्दी है अभिमान।
हिन्दी हिंदुस्तान की, रही सदा पहचान।।
मंच की कार्यकारी अध्यक्षा नीरजा शर्मा अवनि जी ने मंच पर दोहे प्रस्तुत कर समा बाँध दिया।
भाषा बढ़ती ज्ञान से, एक सीख यह मान।
हिंदी बिंदी हिंद की, यही हमारी आन।।
मंच की संरक्षिका डॉ स्वर्णलता सोन कोकिला ने समधुर स्वर में गीत गाकर सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया
हिंदी हमारी शान है,हर दिल में इसका मान है।
संस्कृति से जुड़े हर वचन,हमारा भविष्य उज्जवल होये।
मंच की दैनिक आयोजन प्रभारी दिव्या भट्ट 'स्वयं की मनभावन प्रस्तुति ने सभी को भाव विभोर कर दिया।
कितनी भी बाधाएं आएं,हमको पार उतरना होगा।
हिंदी के उत्थान की खातिर,हमको कारज करना होगा।।
वरिष्ठ साहित्यकारा वीना टंडन पुष्करा की सशक्त भावाभिव्यक्ति कुछ इस प्रकार रही।
मैं हिंदी हूं हां मैं हिंदी हूं।
भारत की अपनी भाषा जन जन की अभिलाषा।
मंच के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ फूलचंद्र विश्वकर्मा भास्कर जी ने अपनी भावनाओं को काव्य बद्ध कर गाकर ख़ूब तालियां बटोरी।
अनुपम वाणी देश की, हिंदी भाषा मान।
संस्कार जिसमें निहित, संस्कृति की पहचान।।
मंच की सक्रिय व समर्पित रचनाकारा रेखा पुरोहित ‘तरंगिणी’ने दोहा ग़ायन कर आयोजन को भव्य बनाया।
गौरव बढ़ता राष्ट्र का,गूंजे जग में नाम।
अपने भारत देश हो,निज भाषा हर काम।
मंच से हाल में ही जुड़ी रंजीता श्रीवास्तव ने कुछ इस प्रकार हिन्दी के प्रति अपना प्रेम दर्शाया।
हिंदी हमारी शान है,हर दिल में इसका मान है।
संस्कृति से जुड़े हर वचन,हमारा भविष्य उज्जवल होये।
नवोदित रचनाकारा रेखा रावत की प्रस्तुति ने भी सभी का दिल जीत लिया।
हृदय से निकलती है हिंदी,अनमोल है इसकी हर बिंदी।
हर शब्द में गहरा मर्म है,हिंदी भाषा से क्यों शर्म है?
कार्यक्रम के अंत में सविता मेहरोत्रा ‘सुगंधा’ने निम्न पंक्तियों के माध्यम से हिन्दी की महत्ता को उजागर
किया।
हिन्दी हिन्दुस्तान की बोली, हिन्दी अपनी भाषा ।
सब मिलकर अपनाओ हिन्दी,बनेगी राष्ट्र भाषा।
आभासी काव्य गोष्ठी में उपस्थित मंच की सह अध्यक्षा डॉ अनीता राजपाल अनु वसुंधरा, डॉ मूरत सिंह यादव, अरुण ठाकर ज़िंदगी कवित्त, सरोज डिमरी, गुरु नौटियाल ने अपनी जानदार व शानदार प्रस्तुतियों से काव्य गोष्ठी का समां बाँध दिया।
काव्य गोष्ठी का समापन करते हुए मंच संचालिका
डॉ दवीना अमर ठकराल ‘देविका’ ने उपस्थित सभी कवि/कवयित्रियों का आभार प्रकट किया और हिन्दी के प्रति संकल्पित होने का आह्वान निम्न पंक्तियों से किया।
आओ संकल्पित हों परिष्कृत व त्रुटि रहित हिन्दी भाषा बोलने व लिखने के लिए।
हिंदी को दिल से अपनाने के लिए केवल एक दिन नहीं प्रतिदिन के लिए।
हिन्दी बोलें,हिंदी पढ़ें, हिंदी लिखें, हिंदी समझें और समझाएँ,
हिन्दी दिवस केवल एक दिन ही न मनाकर हिंदी को दिल से अपनाएं।।
डॉ दवीना अमर ठकराल”देविका”

