उन्मुक्त उड़ान मंच पर आयोजनों की बहार

Lavkush Singh
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उन्मुक्त उड़ान मंच के तत्वाधान में दादा दादी के निश्छल प्यार से शुरू सप्ताह बहुत ही आनंदित और सारगर्भित रहा। संजीव कुमार भटनागर “सजग”के निरूपण में सप्ताह की शुरुआत शानदार रही और 25 रचनाकारों ने अपनी कलम और स्वरों से पीढ़ियों को जोड़ने का प्रयास किया। नीरजा शर्मा “अवनि” के विषय निरूपण में साप्ताहिक विषय पितृ पक्ष पर आस्था, श्रद्धा, तर्पण और पितरों का पखवाड़ा विषय पर रचनाकारों ने आलेख के द्वारा अपने विचार साझा करने का प्रयास किया।हिन्दू संस्कृति में पितृ पक्ष अर्थात श्राद्धों में अपने स्वर्गीय माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी, भाई- बंधु की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है पूजा पाठ व श्राद्ध। आत्मा की संतुष्टि के लिए, अपने पूर्वजों के मान के लिए, परिवार की सुख-शान्ति के लिए, विधि से श्राद्ध व तर्पण किया जाता है। दवीना अमर ठकराल “देविका” के अनुसार इस दिन अगर पूरे मन से, विधि विधान से पितरों की आत्मा की शान्ति के लिए श्राद्ध किया जाए तो न केवल पितरों की आत्मा शांत होती है बल्कि उनके आशीर्वाद से घर परिवार में भी सुख शान्ति बनी रहती है।परिवार के सदस्यों की सेहत अच्छी रहती है और जीवन में चल रही परेशानियों से भी राहत मिलती है। 26 रचनाकारों दवीना अमर ठकराल देविका, नन्दा बामराडा सलिला, सुनील माधव, अरुण ठाकर जिंदगी, मीनाक्षी सुकुमारन, डॉ वंदना खंडूरी, नीरजा शर्मा अवनि, सुनीता तिवारी, माधुरी शुक्ला, निशा कौल शर्मा, प्रजापति श्योनाथ सिंह शिव, सुरेश सरदाना, अनिल जैन, प्रवीना सिंह राणा, सुरेश चंद्र जोशी सहयोगी, दिव्या भट्ट स्वयं, रेवाराम दहेरिया, स्वर्णलता सोन कोकिला, सुनीता तिवारी, संजीव कुमार भटनागर सजग, रंजीता श्रीवास्तव, सुनीता सिंह, देवेश्वरी खण्डूरी, मंजुला सिन्हा, अरविंद वर्मा, फूलचन्द्र विश्वकर्मा भास्कर ने अपने आलेख और विचारों से प्रदत्त विषय को सार्थक और समयानुकुल बनाया| विभिन्न विषयों से सुसज्जित सप्ताह में हिमालय दिवस पर अशोक दोशी दिवाकर के विषय निरुपण में 22 रचनाकारों ने छंदमुक्त विधा में अपनी काव्य रचना प्रेषित की। 30 रचनाकारों ने डॉ पूर्णिमा पाण्डेय पूर्णा द्वारा प्रदत विषय श्राद्ध कर्म पर काव्यात्मक रचनाएँ मंच पर साझा कर”की। मंच की कार्यकारिणी द्वारा स्वैच्छिक विषय पर रचनाओं के आवाहन में 47 रचनाकारों का प्रयास प्रशंसनीय रहा। हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में हिन्दी का करें सम्मान विषय पर सुमन किमोठी वसुधा के निरूपण में 60 रचनाकारों ने विभिन्न विधाओं में अपनी रचनाओं से दिवस की सार्थकता और सौंदर्य बढ़ा दिया। सप्ताह का अंत हिन्दी दिवस पर आधारित आभासी काव्य गोष्ठी से हुआ। उन्मुक्त उड़ान मंच द्वारा आयोजित साप्ताहिक कार्यक्रम का संयोजन तथा सौंदर्यपूर्ण, सृजनात्मक डिज़ाइन नीरजा शर्मा ‘अवनि’ और नीतू रवि गर्ग ‘कमलिनी’ ने किया। कार्यक्रमों की निरंतर समीक्षा अशोक दोशी ‘दिवाकर’ एवं सुरेश चंद्र जोशी ‘सहयोगी’ द्वारा की गई, जबकि कृष्ण कान्त मिश्र ‘कमल’ और संजीव कुमार भटनागर ‘सजग’ ने रचनात्मक समालोचना और चयन का उत्तरदायित्व निभाते हुए विज्ञप्ति को विशिष्ट स्वरूप प्रदान किया। इस अवसर पर मंच की संस्थापिका एवं अध्यक्षा डॉ. दवीना अमर ठकराल ‘देविका’ ने कहा –“उन्मुक्त उड़ान मंच द्वारा संचालित ये कार्यक्रम उसकी दूरदर्शी सोच, समर्पित प्रयास और सृजनशील ऊर्जा का उत्कृष्ट उदाहरण हैं। साहित्य और साधना का यह संगम न केवल आत्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है, बल्कि समाज में स्वास्थ्य-जागरूकता तथा सांस्कृतिक मूल्यों की स्थायी स्थापना का भी कार्य करता है। यह मंच सामाजिक, मानसिक और सांस्कृतिक विकास के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुका है और आगे भी बनता रहेगा।”

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