हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में साहित्य उपवन रचनाकार ने बहाई अविरल काव्य धारा

Lavkush Singh
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साहित्य उपवन रचनाकार ने हिन्दी दिवस पर अविरल काव्य धारा का आयोजन बड़ी खूबसूरती से किया। इसमें देश भर के विभिन्न राज्यों से 65 रचनाकारों ने अपनी भाव प्रस्तुति देकर दर्शकों और श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। प्रत्येक रचनाकार ने हिन्दी भाषा को केंद्र में रखकर सृजन किया और उसे अपनी सुमधुर आवाज में प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का शुभारंभ सुबह नौ बजे शंखनाद से हुआ। कार्यक्रम सुबह नौ बजे से रात्रि नौ बजे अर्थात अविरल 12 घंटे चला, जो अपने आप में एक मिसाल है। इस कार्यक्रम की सूत्रधार, संयोजिका व व्यवस्थापिका साहित्य उपवन रचनाकार की कार्यकारी अध्यक्षा आ संगीता मिश्रा जी हैं जिन्होंने अकेले दम पर इसे संचालित किया। अन्य पदाधिकारियों ने यथासंभव प्रस्तुतियों का उत्साहवर्धन किया। आज पूरे दिन साहित्य उपवन रचनाकार में हिंदी का जय गान होता रहा जिसका लुत्फ घर बैठे हजारों दर्शकों ने उठाया। अविरल काव्य धारा को अपनी गरिमामई उपस्थिति व मनभावन प्रस्तुति से सफल बनाने वाले साहित्य के हस्ताक्षर हैं...फूलचंद्र विश्वकर्मा, किरण पांडेय, रंजना बिनानी, कृष्ण देव चतुर्वेदी, जय सिंह रावत, दिनेश सिंह झूझार, बी एन पांडेय, विवेक शुक्ला, राकेश राज पार्थ, चैन सुख तंवर, पुष्पा कनवासी, रमन ध्यानी, अनीता जोशी, नीता शेखर, अलका जैन आनंदी, विनीता चौरसिया, रेखा तिवारी, दीप्ति दीप, कवि अनुज ओम, योगेंद्र मुसाफिर, युद्दबीर बिष्ट, छोटेलाल शुक्ल, भास्कर बुडाकोटी, हरीश भारद्वाज निर्मल, राम सहारे मिश्र, गणेश चंद्र केष्टवाल, मंजू गुप्ता, शोभा तिवारी, प्रमोद झा, दिव्या भट्ट स्वयं, सरोज, राम कुमार झा निकुंज, संध्या चतुर्वेदी , मधु प्रधान, बाल किशुन जोशी चंचल, अनिल जैन, राम किशोर पाठक, दिनेश मिश्र, सिद्धि डोभाल सागरिका, शरद कुमार मिश्रा, मोतीलाल रामावत, कवि हनुमान बादाम, बाबा बैद्यनाथ झा, लक्ष्मी चौहान रोशनी, शकुंतला मित्तल, अंशी कमल, रजनी हरीश, सुमन किमोठी, रमेश मेहर राही, महिमा सिंह, प्रमिला झरबडे मीता, प्रतिभा सिंह, गणेश भारद्वाज, विनीता कुशवाहा, सुजाता प्रिय, कृष्ण कांत मिश्र, सुधा बसोर सौम्या, भावना शिवहरे, संध्या चतुर्वेदी, आर डी गौतम विनम्र, पद्मा मोटवानी, आशा नेगी पवार, सुभाष कुशवाहा, स्वर्णलता आदि। सभी रचनाकारों को 'आश्विका आशीष' सम्मान से सम्मानित करके इस कार्यक्रम की शानदार परिणति की ग‌ई।

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