नई दिल्ली - 30 सितम्बर साहित्य उपवन रचनाकार मंच का तृतीय वार्षिकोत्सव अग्रसेन भवन,यमुना विहार के सभागार में ' हौसलों के हमसफ़र भाग-2 पुस्तक विमोचन के साथ सम्पन्न हुआ। इस आयोजन में मुरादाबाद के ख्यातिप्राप्त साहित्यकार डाॅ०महेश दिवाकर,नवोदित प्रवाह के सम्पादक रजनीश त्रिवेदी, ट्रू मीडिया के संस्थापक ओमप्रकाश प्रजापति, आकाशवाणी दिल्ली के सहायक निदेशक रामअवतार बैरवा, साहित्यकार डाॅ०राकेश सक्सेना, डाॅ०अनिल बाजपेई,पूर्व प्राचार्या साहित्यकार डाॅ०सुनीता सक्सेना, डाॅ०अशोक मधुप, डाॅ०महेश वर्मा दिव्यमणि ने अतिथि के रूप में सहभागिता की। सभारोह का शुभारंभ सुधा बसोर सौम्या की सरस्वती वंदना, अंशी कमल के स्वागत गीत एवं उत्तराखंड से पधारीं सन्नू नेगी, संगीता बहुगुणा, पुष्पा कनवासी के मंगलगान से हुआ। संस्थापक कुमार रोहित रोज ने सभी अतिथियों व सुदूर प्रांतों से पधारे कवि-कवयित्रियों को पटका व प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया।
सर्वप्रथम एटा के साहित्यकार डाॅ०राकेश सक्सेना ने उपवन संस्था की सराहना करते हुए कृति को अदम्य साहसी, प्रेरक व अनुकरणीय किरदारों का दस्तावेज बताया। नवोदित प्रवाह के सम्पादक रजनीश त्रिवेदी ने कहा कि देश के ऐसे किरदार जो अपनी जिंदादिली के लिए विभिन्न पदकों से सम्मानित हुए,उन पर केन्द्रित रचनाकारों की रचनाएँ प्रेरणाप्रद हैं। आकाशवाणी दिल्ली के सहायक निदेशक रामावतार बैरवा एवं ट्रू मीडिया के संस्थापक ओमप्रकाश प्रजापति ने बीस किरदारों पर आधारित काव्य सृजन को शानदार व असरदार पहल बताया।
साहित्यकार डाॅ० सुनीता सक्सेना ने कहा कि विमोचित पुस्तक में कलमकारों द्वारा असाधारण किरदारों पर काव्य सृजन अभूतपूर्व है। मुरादाबाद के ख्यातिलब्ध साहित्यकार डाॅ०महेश दिवाकर ने बताया कि हौसलों के हमसफ़र काव्य संग्रह अनुपम व निराला है। अनेक किरदारों पर केन्द्रित रचनाओं में लयवद्धता, सम्प्रेषणीयता और सहज प्रवाह दिखाई देता है। प्रबुद्ध पाठकों के लिए यह कृति उपयोगी व प्रेरक है। डाॅ०अनिल बाजपेई, डाॅ०अशोक मधुप, डाॅ०महेश वर्मा दिव्यमणि ने उपवन की इस पहल को मुक्त कंठ से सराहा।
इस आंदोलन में कच्छ से पधारीं पदमा गोविन्द मोटवानी की सम्पादित कृति मंथन का भी विमोचन हुआ। इस संदर्भ में साहित्यकार डाॅ०राकेश सक्सेना ने समीक्षा के निकष पर डाॅ०मालती दुबे के समीक्षक को महत्वपूर्ण सिद्ध किया। इस समारोह में जगदीश गोकलानी, रजनी रोहित, कृष्णकांत मिश्रा, दिनेश कुमार, प्रमोद कुमार चौहान, कमला उनियाल, नरेश सागर, डाॅ०करुणा अथैया, नरेश उनियाल, फूलचन्द्र विश्वकर्मा, सिद्धि डोभाल, पूर्णिमा पाण्डेय, हुमा खातून, निवेदिता शर्मा, रेखा तिवारी, मदनलाल राज, युद्धवीर सिद्ध, रक्षा बौडाई, छोटेलाल शुक्ल, सुभाष सेमल्टी, अनु तोमर , कंचन कशिश, वीरेंद्र डोबरियाल, सुमंगला सुमन आदि अनेक साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं की प्रस्तुति से मुग्ध किया। संस्थापक रोहित रोज ने कृतज्ञता ज्ञापित की तथा समारोह का संचालन आर०डी०गौतम विनम्र ने किया।
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