फर्जी अंकपत्र और प्रमाण पत्र बनाने वाले गिरोह के तीन सदस्य गिरफ्तार
लखनऊ: एसटीएफ ने गुरुवार को फर्जी अंकपत्र और प्रमाण पत्र बनाने वाले गिरोह का राजफाश कर तीन जालसाजों को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए जालसाजों के पास से 51 अंकपत्र, प्रमाणपत्र, पंजीकरण, सत्यापन प्रमाण पत्र, स्थानांतरण प्रमाणपत्र, दो लैपटाप, चार मोबाइल और चार मुहर मिली हैं।
एसटीएफ के पुलिस उपाधीक्षक लालप्रताप सिंह के मुताबिक पारा के मुन्नू खेड़ा निवासी अल्ताफ राजा, आलमबाग के स्नेहनगर निवासी कृष्ण कुमार श्रीवास्तव और फैजुल्लागंज के श्याम विहार कालोनी निवासी लक्ष्य राठौर को गिरफ्तार किया गया है। पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि हाईस्कूल से लेकर परास्नातक (एमए) के अंकपत्र आन डिमांड उपलब्ध कराते थे। इसके लिए मोटी रकम लेते थे। यूपी बोर्ड, सीबीएसइ, आइसीएससी समेत सभी बोर्ड के प्रमाण पत्र व अंकपत्र बनाकर बेचने का काम किया जाता है। एसटीएफ के इंस्पेक्टर अंजनी कुमार पांडेय के मुताबिक पकड़े गए आरोपित अल्ताफ राजा ने पूछताछ में बताया कि इसके पहले दिल्ली में डा. एसपी पांडेय के साथ फर्जी बेवसाइट बनाकर अंकपत्र का काम करता था। 2017 में दिल्ली के गीता कालोनी थाने से डा. एसपी पांडेय के साथ जेल गया था। दो वर्ष बाद 2019 में वह और लक्ष्य राठौर दिल्ली के चाणक्यपुरी में भी कई साथियों के संग गिरफ्तार किया गया था। जेल से छूटने के बाद वह लखनऊ आ गया। यहां आकर गिरोह बनाकर काम शुरू कर दिया। वहीं, कृष्ण कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि वह भी फर्जी मार्कशीट प्रकरण में 2009 में थाना विकास नगर से जेल जा चुका है।
ऐसे लोग देखते थे मार्कशीटः एसटीएफ के मुताबिक आरोपित bhsedelhi.org, bhsenewdelhi. org, bhsedelhiboard.net,technoglobaluniversitymp.or g., dsosresults.co.in, riosupresults.org, bujhanshiresults.org., bssbpatnaresults.co.in, hima layanuniversityresults.com, hsebdelhi.org
वेबसाइट पर फर्जी परीक्षा फल अपलोड करते थे। जिससे लोग वेबसाइट पर रोलनंबर डालकर अपना परीक्षा परिणाम भी देखते थे। जालसाजों द्वारा बनाए गए प्रमाण पत्र एकदम असली जैसे लगते हैं। हजारों लोग इनके दिए गए फर्जी प्रमाण पत्र पर नौकरी कर रहे हैं।
15-20 हजार रुपये वनाते थे फर्जी दस्तावेजः इंस्पेक्टर के मुताबिक आरोपितों ने पूछताछ में बताया कि फर्जी दस्तावेज बनाने के लिए वह 15-20 हजार रुपये वसूलते थे। जिसे सभी लोग आपस में बांट लेते थे। प्रमाण पत्र को कोरियर के माध्यम से पते पर भेजते थे। गिरोह के सदस्यों ने कुबूल किया कि अब तक पांच हजार से अधिक फर्जी दस्तावेज तैयार कर बेचे हैं। इसके लिए उसने गो-डैडी (Go Daddy) एवं बिग राक (Big Rock) पर वेबसाइट बनाई थी ताकि आसानी से फर्जीवाड़ा किया जा सके।