Basti || बस्ती जिले के बारे में 200 शब्दों में

अरुण कुमार
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बस्ती जिले के बारे में 200 शब्दों में

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले का इतिहास बहुत पुराना है। यह जिला 6 मई 1865 को बनाया गया था। इस जिले का नाम भगवान राम के गुरु वशिष्ठ ऋषि के नाम पर रखा गया था, जो वाशिष्ठी के नाम से जाना जाता था।

बस्ती की स्थापना

Basti जिले की स्थापना 1865 में हुई थी और इसका क्षेत्रफल लगभग 3,034 वर्ग KM है। यह जिला अपनी समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक स्थलों और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है।


Basti की महत्वपूर्ण शहर व कस्बे

बस्ती जिले में कई महत्वपूर्ण शहर और कस्बे हैं, जिनमें बस्ती, हर्रैया, रुधौली और बभनान प्रमुख हैं। यह जिला अपनी कृषि उत्पादकता के लिए भी जाना जाता है, जिसमें गन्ना, धान, गेहूं और मक्का प्रमुख फसलें हैं।


बस्ती की ऐतिहासिक और पौराणिक स्थल

बस्ती जिले में कई ऐतिहासिक और पौराणिक स्थल भी हैं, जिनमें महाराजा छत्रसाल का किला, हर्रैया का किला और भगवान शिव का मंदिर प्रमुख हैं। यह जिला अपनी सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।


बस्ती जिले का इतिहास

बस्ती जिले का इतिहास बहुत पुराना है। यह जिला 6 मई 1865 को बनाया गया था। इस जिले का नाम भगवान राम के गुरु वशिष्ठ ऋषि के नाम पर रखा गया था, जो वाशिष्ठी के नाम से जाना जाता था।


पुत्रेष्टि यज्ञ

माना जाता है कि त्रेता युग में भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम और उनके तीन अन्य भाईयों, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के जन्म के लिए गुरु वशिष्ठ ने राजा दशरथ के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ कराया था। यहां गुरु वशिष्ठ का आश्रम था।


बस्ती जिले का नाम बदलने की मांग

हाल ही में बस्ती जिले का नाम बदलने की मांग उठाई गई थी। जिला प्रशासन ने राज्य के राजस्व परिषद को रिपोर्ट भेजी थी कि जिले का नाम बदल कर वशिष्ठ नगर या वशिष्ठी करने के लिए कम से कम 1 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। लेकिन राजस्व बोर्ड ने जिला प्रशासन की रिपोर्ट पर आपत्ति जता दी और कहा कि इस प्रस्ताव पर फिर से विचार करें।


बस्ती जनपद की भाषा और बोली

बस्ती जनपद की भाषा और बोली की बात करें तो यहां की प्रमुख भाषा हिन्दी है, लेकिन इसके साथ-साथ भोजपुरी और अवधी भी बोली जाती है।


भाषा और बोली का विभाजन

बस्ती जनपद के पूर्वी क्षेत्रों में भोजपुरी बोली जाती है, जबकि पश्चिमी क्षेत्रों में अवधी का प्रयोग किया जाता है। इसके साथ ही दक्षिणी और उत्तरी क्षेत्र में भोजपुरी और अवधी दोनों ही बोली जाती है।


भाषा और बोली का महत्व

बस्ती जनपद की भाषा और बोली का अपना एक विशेष महत्व है। यहां की भाषा और बोली की विविधता इसे एक अनोखा और रंगीन संस्कृति बनाती है।

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