गुस्से को धैर्य से स्विच करें, निर्णय बदल जाएगा

Lavkush Singh
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अभी हाल ही में मेरे साथ कुछ ऐसा हुआ, लगा कि हार मान जाऊ, सब बंद कर दूं,  फिर मैने गुस्से में एकाएक निर्णय लेने के बजाय खुद को कुछ वक़्त दिया l फिर पाया कि समय देने की वजह से आधी मुश्किल खत्म हो चुकी थी 

और मैने सीखा कि जीवन में जब मुश्किल समय आए तो एकाएक निर्णय ना लें, खुद को समय दें 

और उस के बाद एक कॉपी पेन लेकर अकेले में बैठे जाएं,और फिर अपने लिए दोनों फैसले अलग अलग लिखें, उनके लाभ और हानि लिखे, आपको अपने अंदर एक ऊर्जा महसूस होंगी, जिसे सेल्फ हीलिंग कहते हैं, उसके बाद सोच विचारकर आप अपना फैसला ले सकते हैं l 

गुस्से में लिए फैसले और फैसले को होल्ड पर रखकर बाद में लिए फैसले में अन्तर होता है l जरूरत है सिर्फ धैर्य की, उस धैर्य के लिए हमें खुद को बस इतना कहना होगा कि मैं रिएक्ट करूंगा या करूंगी लेकिन थोड़ी देर बाद l


बस इस विचार पर अमल करते ही आप देखेंगे कि हीलिंग प्रॉसेस तेज हो रही हैं l उसके बाद आपका निर्णय आपके धैर्य का प्रमाण होगा ना कि गुस्से का l आशा करती हूं कि ये आपके जीवन में भी काम आएगा l

जीवन में कई सारे बदलाव लाने के लिए सिर्फ एक का बदलना काफी है  और वो है खुद की सोच ...


लेखक और विचारक 

नेहा वार्ष्णेय "धारा"

दुर्ग (छत्तीसगढ़)

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