बस्ती। आपातकाल 1975: एक संघर्ष यात्रा — संगोष्ठी का आयोजन
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) द्वारा 25 जून को बस्ती नगर स्थित आचार्य रामचंद्र शुक्ल पुस्तकालय में "आपातकाल 1975: एक संघर्ष यात्रा" विषय पर एक विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह आयोजन भारतीय लोकतंत्र के काले अध्याय 1975 के आपातकाल की स्मृति में युवाओं को उसके ऐतिहासिक सन्दर्भ, परिणाम एवं राष्ट्र के संघर्ष की गाथा से अवगत कराने के उद्देश्य से किया गया।
संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, गोरक्ष प्रांत के गो सेवा प्रमुख अखिलेश जी ने आपातकाल की पृष्ठभूमि, उस समय की दमनकारी नीतियों, सेंसरशिप, नागरिक स्वतंत्रता पर लगे प्रतिबंधों एवं विपक्ष की आवाज़ को कुचलने के प्रयासों पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने कहा —
"आपातकाल केवल एक राजनीतिक घटना नहीं थी, बल्कि यह भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों, संवैधानिक मर्यादाओं और नागरिक अधिकारों पर सीधा हमला था। प्रेस की स्वतंत्रता छीन ली गई थी, हजारों राष्ट्रभक्तों को बिना कारण जेल में डाला गया था और आम नागरिक भय के वातावरण में जीने को मजबूर थे।"
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उन्होंने यह भी कहा कि "उस समय संघ और अभाविप के कार्यकर्ताओं ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए सत्य और लोकतंत्र की रक्षा के लिए भूमिगत रहकर आंदोलन चलाया। वह संघर्ष हमें सिखाता है कि जब भी लोकतंत्र संकट में हो, युवाओं को आगे बढ़कर देश और संविधान की रक्षा करनी चाहिए।"
बस्ती एवं हरैया जिलों के संगठन मंत्री अंकित जी ने आपातकाल के विरोध में खड़े हुए युवाओं, कार्यकर्ताओं एवं संघ की भूमिका को रेखांकित किया और आज की पीढ़ी से सजग, जागरूक एवं कर्तव्यनिष्ठ बनने का आह्वान किया।
कार्यक्रम के समापन पर बस्ती नगर के नगर सह मंत्री मारुत जी ने सभी अतिथियों, कार्यकर्ताओं एवं आगंतुकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन केवल इतिहास को दोहराने के लिए नहीं, बल्कि उससे सीख लेकर राष्ट्रहित में कर्तव्य निभाने की प्रेरणा देने के लिए आवश्यक हैं।