'World No Tobacco Day Special: वर्ल्ड नो टोबैको डे' पर तंबाकू से दूरी बनाने का संकल्प
ग्रेटर नोएडा, 30 मई 2025: तंबाकू सेहत के लिए खतरनाक है। तंबाकू के इस खतरे को जानते हुए भी विश्वभर में बड़ी संख्या में लोग किसी न किसी रूप से तंबाकू का सेवन करते हैं। वहीं अगर भारत की बात करें तो यहां पर बड़ी संख्या में बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू और गुटखा आदि के सेवन से कई तरह की बीमारियां होने का खतरा लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में लोगों को जागरूक करने, तंबाकू छोड़ने और इससे दूरी बनाने के लिए जागरूक किया जा रहा है।
इस वर्ष विश्व तम्बाकू निषेध दिवस की थीम है- "आकर्षण का पर्दाफाश: तंबाकू और निकोटीन उत्पादों पर उद्योग की रणनीतियों को उजागर करना।"
इसी तहत दिल्ली से जुड़े शहरी इलाक़ों में ऐसी गतिविधियां की गईं जो सीधे तौर पर युवाओं को यह समझा सकें कि वेपिंग, ई-सिगरेट और फ्लेवर वाले उत्पाद असल में वही ज़हर हैं जो पीढ़ियों से बीमारियां फैला रहे हैं। बस इनका स्वरूप बदला है। तंबाकू अब सिर्फ धुआं नहीं है, ये अब सोच और पहचान पर हमला है। जब किसी युवा को लगता है कि वह सिर्फ एक डिवाइस पकड़कर 'स्टाइलिश' हो गया है, वहीं से नशे में डूबे भविष्य की जीत और स्वास्थ्य की हार शुरू हो जाती है। इस सोच को तोड़ना ही आज की सबसे बड़ी ज़रूरत है।
युवाओं के बीच एक और खतरनाक सोच तेज़ी से बढ़ रही है—यह मान लेना कि निकोटीन से तनाव कम होता है, फोकस बढ़ता है और पढ़ाई या काम में मदद मिलती है। जबकि सच यह है कि यह सब भ्रम है। निकोटीन नशे की लत पैदा करता है और धीरे-धीरे दिमाग और शरीर दोनों को नुकसान पहुंचाता है।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2019-21 के अनुसार भारत में हर 10 में से 4 पुरुष (38%) और 10 में से 1 महिला (9%) किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में यह आंकड़ा और अधिक है—पुरुषों में 42.7% और महिलाओं में 10.5%किसी न किसी प्रकार से तम्बाकू का सेवन करते रहे हैं। इन आंकड़ों से पता चलता है कि यह समस्या कितनी गहराई तक समाज में फैली हुई है।
फोर्टिस ग्रेटर नोएडा की एडिशनल डायरेक्टर – रेस्पिरेटरी मेडिसिन, डॉ. तनुश्री गहलोत ने बताया, "आज के दौर में बहुत से युवा सिगरेट, तंबाकू, गुटखा, ई-सिगरेट, हुक्का और गांजा की तरफ रुख कर रहे हैं। कई लोग ई-सिगरेट के समर्थन में तर्क भी देते हैं और इससे कम खतरा होने की बात करते हैं। ऐसा नहीं है। ई-सिगरेट में भी निकोटीन होता है, जो शरीर को नुकसान पहुंचाता है। नशे का हर प्रकार हानिकारक ही होता है। आजकल सेकेंड हैंड स्मोकिंग का खतरा भी बढ़ रहा है। आसपास के लोगों के धूम्रपान करने से जो व्यक्ति धूम्रपान नहीं भी कर रहा होता है, वह भी अनजाने में उस खतरनाक धुएं का शिकार हो जाता है। उसपर एनसीआर का धुआं जो इनसान की सांसों को छाीन रहे हैं। वास्तव में हमें हर तरह के नशे से दूर रहने का प्रण लेना चाहिए। तंबाकू का कोई भी उत्पाद कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है।"